भारत के लिए हाल ही में दो महत्वपूर्ण सकारात्मक समाचार आए हैं। सरकार ने जीएसटी दरों में बदलाव के संकेत दिए हैं, वहीं एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने भारत की दीर्घकालिक सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग को एक स्तर ऊपर सुधार दिया है और आउटलुक को ‘स्थिर’ बनाए रखा है। ये कदम बाज़ार की सेंटिमेंट को मज़बूत करते हैं और देश की आर्थिक विश्वसनीयता के बारे में सकारात्मक संकेत देते हैं।
लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इन सकारात्मक समाचारों से विदेशी निवेशकों (FII) की तुरंत वापसी संभव नहीं है। उनका कहना है कि असली तेजी तभी आएगी जब कंपनियों की कमाई में स्पष्ट सुधार दिखेगा और नीतिगत वातावरण स्थिर रहेगा। NSDL के आँकड़े दर्शाते हैं कि कैलेंडर वर्ष 2025 में अब तक विदेशी निवेशकों ने करीब ₹1.17 लाख करोड़ के शेयर बेचे हैं। केवल जनवरी में ही सबसे अधिक बिकवाली दर्ज की गई थी, जो लगभग ₹78,000 करोड़ रही, जबकि अगस्त तक अतिरिक्त ₹22,200 करोड़ के शेयर उन्होंने घटाए हैं।
विदेशी निवेशक इस समय उभरते बाजारों पर नज़र बनाए हुए हैं, क्योंकि अमेरिका में AI आधारित तेजी से शेयरों के दाम बहुत ऊँचे पहुँच गए हैं। भारत ने पिछले तिमाही में कमजोर प्रदर्शन किया है, लेकिन विशेषज्ञों को उम्मीद है कि 2025-26 के दूसरे हिस्से में स्थिति में सुधार हो सकता है। त्योहारों का सीजन, रिज़र्व बैंक द्वारा ब्याज दर में कटौती की संभावना और सरकार के और अधिक नीतिगत निर्णयों से कंपनियों की कमाई में वृद्धि होने की धारणा है।
दीर्घकालिक दृष्टिकोण से सॉवरेन रेटिंग अपग्रेड भारत के लिए बहुत सकारात्मक है, लेकिन फिलहाल टैरिफ (आयात शुल्क) सबसे बड़ा जोखिम है। बाज़ार विशेषज्ञों का कहना है कि यदि टैरिफ संबंधी परिस्थिति के कारण शेयर बाज़ार में गिरावट आती है, तो यह दीर्घकालिक निवेशकों के लिए खरीदारी का अवसर बन सकता है।