गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स (जीएसटी) के ढांचे में हाल ही में किए गए बदलाव का देश की अर्थव्यवस्था पर केवल सीमित असर होगा, ऐसा बैंक ऑफ़ अमेरिका (BoA) ने कहा है। बofa की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में जीएसटी की प्रभावी दर औसतन 11% रही है, जबकि चालू वित्त वर्ष में यह दर घटकर 10.90% रहने का अनुमान है। दरों में इस बदलाव के कारण सरकार के खजाने को लगभग 48,000 करोड़ रुपये का नुकसान होने की संभावना है, जो जीडीपी के 13 बेसिस प्वाइंट्स के बराबर है। बैंक का मानना है कि यदि नुकसान का आंकड़ा अनुमान से थोड़ा अधिक भी होता है, तो मज़बूत उपभोग तथा इनपुट टैक्स क्रेडिट के कम दावों से इसकी आंशिक भरपाई हो सकती है।
जीएसटी दर में कटौती से महंगाई में कमी आएगी और उपभोग में वृद्धि होगी। यह स्थिति रिज़र्व बैंक को ब्याज दर नीति में अधिक लचीलापन देगी। हालांकि रिज़र्व बैंक ने स्पष्ट किया है कि किसी भी प्रकार की ब्याज दर में कटौती का निर्णय आगामी आँकड़ों पर आधारित होगा और जल्दबाज़ी में कोई कदम नहीं उठाया जाएगा।
राजकोषीय दृष्टि से भी जीएसटी में हुई कटौती से सरकार की वित्तीय स्थिति पर बड़ा असर नहीं पड़ेगा। चालू वित्त वर्ष के लिए देश का राजकोषीय घाटा जीडीपी के 4.40% पर ही रहने का अनुमान बैंक ऑफ़ अमेरिका ने बरकरार रखा है।