भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र, आधी रात का समय… मथुरा नगरी के कारागार में गहरा अंधकार छाया हुआ था। आकाश में बादल गरज रहे थे, यमुना की लहरें उफान पर थीं, और चहुँओर एक भयावह सन्नाटा। उस समय मथुरा का राजा कंस अपने अत्याचारों के चरम पर था। उसने अपनी बहन देवकी और उनके पति वसुदेव को कारागार में बंद कर रखा था, क्योंकि आकाशवाणी में कहा गया था — “देवकी का आठवाँ पुत्र ही तुम्हारे अंत का कारण बनेगा।”
कृष्ण का दिव्य अवतरण
जब आठवीं संतान के जन्म का समय आया, कारागार के चारों ओर अद्भुत प्रकाश फैल गया। देवकी की गोद में चार भुजाओं वाले, शंख, चक्र, गदा और पद्म धारण किए हुए भगवान विष्णु प्रकट हुए। उन्होंने माता-पिता को आश्वस्त किया और अपने बाल रूप में आ गए। उसी क्षण, कारागार के ताले अपने आप खुल गए, पहरेदार गहरी नींद में सो गए, और द्वार पर खड़े सैनिक जैसे मूर्छित हो गए।
वसुदेव ने शिशु कृष्ण को अपनी टोकरी में रखा और यमुना पार कर गोकुल जाने लगे। रास्ते में तेज बारिश हो रही थी, लेकिन शेषनाग ने अपने फन से नन्हे गोपाल को सुरक्षित रखा। यमुना जी ने भी अपने प्रवाह को रोककर वसुदेव के चरण स्पर्श किए और उन्हें पार जाने का मार्ग दिया।
गोकुल में नंदोत्सव
गोकुल में नंद बाबा और यशोदा जी के आँगन में उसी रात एक पुत्री का जन्म हुआ था — योगमाया। वसुदेव ने कृष्ण को वहाँ छोड़कर उस कन्या को मथुरा ले आए। जब कंस ने कन्या को मारने के लिए हाथ उठाया, तो वह देवी के रूप में आकाश में प्रकट हो गईं और बोलीं — “हे कंस! तेरा विनाश करने वाला जन्म ले चुका है, अब तू चाहकर भी उसे नहीं मार सकता।”
गोकुल में जब सुबह हुई, नंद बाबा के घर उत्सव का माहौल था। ढोल-नगाड़ों की गूंज, गोपियों के गीत और मिठाइयों की खुशबू से गोकुल महक रहा था। सभी ने नन्हे कान्हा को झूले में झुलाया और उनका माखन-मिश्री से स्वागत किया।
कन्हैया की बाल लीलाएँ
जैसे-जैसे कान्हा बड़े होते गए, उनकी लीलाएँ गोकुलवासियों के मन में प्रेम और आनंद भर देतीं।
- माखन चोर: कान्हा माखन के इतने प्रेमी थे कि गोपियों के घर-घर में चुपके से घुसकर माखन चुराते। पकड़े जाने पर उनकी मासूम मुस्कान गोपियों का गुस्सा भुला देती।
- कालिया नाग का विनाश: यमुना नदी में विष फैलाने वाले कालिया नाग को कान्हा ने परास्त कर उसकी पीठ पर नृत्य किया और यमुना को फिर से शुद्ध कर दिया।
- गोवर्धन पूजा: इंद्रदेव के अहंकार को तोड़ने के लिए कान्हा ने अपनी छोटी अंगुली पर गोवर्धन पर्वत उठा लिया और सात दिन तक गोकुलवासियों को बारिश से बचाया।
प्रेम और भक्ति का संदेश
कान्हा केवल चमत्कारों के लिए नहीं, बल्कि अपने प्रेम, भक्ति और धर्म के संदेश के लिए भी जाने जाते हैं। बाद में, महाभारत के युद्ध में उन्होंने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया —
“जब-जब धर्म की हानि होगी और अधर्म बढ़ेगा, तब-तब मैं अवतार लेकर धर्म की स्थापना करूँगा।”
जन्माष्टमी का महत्व
जन्माष्टमी केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि यह संदेश है कि अंधकार चाहे कितना भी गहरा क्यों न हो, अंततः प्रकाश ही विजय पाता है। कान्हा का जन्म हमें यह सिखाता है कि अन्याय और अधर्म के विरुद्ध खड़े होने के लिए प्रेम और सत्य ही सबसे बड़ा अस्त्र है।
आज भी, जब आधी रात को मंदिरों में घंटे-घड़ियाल बजते हैं, और भक्त ‘नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की’ गाते हैं, तो लगता है मानो हजारों साल पुरानी वह दिव्य रात फिर से जीवित हो उठी है।
जय श्रीकृष्ण! 🙏🌼