भारत और रूस ने हाल ही में एक औपचारिक समझौता किया है जिसके तहत दोनों देश इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) और स्वच्छ ऊर्जा के लिए जरूरी रेयर अर्थ मिनरल्स—जैसे तांबा, लिथियम, कोबाल्ट, निकल—की खोज और उत्पादन में साथ काम करेंगे। यह कदम ऐसे समय में आया है जब अमेरिका ने भारत से निर्यात होने वाले सामान पर भारी टैरिफ लगा दिए हैं, और चीन द्वारा रेयर अर्थ जैसे खनिजों के निर्यात पर प्रतिबंध भारत की EV महत्वाकांक्षाओं को झटका दे रहा है।
भारत-रूस समझौता: अब दोनों देश मिलकर वह दुर्लभ खनिज निकालने और प्रोसेस करने की योजना पर काम करेंगे, जो इलेक्ट्रिक वाहनों, बैटरियों, विंड टर्बाइन और हाइड्रोजन एनर्जी आदि में प्रयोग होते हैं।
भारत की आत्मनिर्भरता: भारत अपने EV और स्वच्छ ऊर्जा मिशन के लिए इन खनिजों का आयात कम करना चाहता है, क्योंकि अभी तक देश मुख्य रूप से चीन पर निर्भर था।
अमेरिकी टैरिफ और ट्रंप: ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में भारत से कई वस्तुओं के आयात पर 50% तक टैरिफ लगाया। अमेरिका को यह चिंता है कि भारत-रूस सहयोग से उसकी वैश्विक सप्लाई चेन और रणनीतिक हित प्रभावित हो सकते हैं।
रणनीतिक संदेश: भारतीय अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि किसान, पशुपालक एवं मछुआरों के हितों पर समझौता नहीं होगा, और भारत वैश्विक दबाव के बावजूद अपनी स्वच्छ ऊर्जा और औद्योगिक नीति पर आगे बढ़ेगा।
औद्योगिक और तकनीकी सहयोग: ये साझेदारी सिर्फ खनिजों तक सीमित नहीं है; दोनों देश एयरोस्पेस, मैन्युफैक्चरिंग, कचरा प्रबंधन, और औद्योगिक वेस्ट रीसाइक्लिंग जैसे क्षेत्रों में भी सहयोग करेंगे।
भारत-रूस समझौता भारत को EV और स्वच्छ ऊर्जा मिशन में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बड़ा कदम है। अमेरिका की कड़ी प्रतिक्रिया के बावजूद भारत अपने रणनीतिक हितों को प्राथमिकता दे रहा है और रूस के साथ आर्थिक-सांझेदारी को मजबूत कर रहा है, जिससे वैश्विक खनिज और ऊर्जा बाज़ार में भी अहम भूमिका बना सकेगा।