वर्तमान वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारतीय कंपनियों का प्रदर्शन उम्मीद से कमजोर रहा है। धीमी मांग के कारण राजस्व वृद्धि कई तिमाहियों के सबसे निचले स्तर पर पहुँच गई है। एक रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार निकट भविष्य में तेज़ सुधार की संभावना कम है, हालांकि जीएसटी दर में कटौती से मांग बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है।
निफ्टी 50 में ऊर्जा, बैंकिंग, वित्त और बीमा क्षेत्र को छोड़कर 35 कंपनियों की नेट सेल्स में सालाना आधार पर केवल 6.60% की वृद्धि हुई, जो सितंबर 2024 के बाद की सबसे कम वृद्धि है। नेट प्रॉफिट में 5.30% की वृद्धि दर्ज हुई, जो पिछले नौ तिमाहियों में सबसे कमजोर वृद्धि है, जबकि ऑपरेटिंग प्रॉफिट में 7.10% की वृद्धि देखी गई। निफ्टी 500 की 390 कंपनियों में भी राजस्व वृद्धि तीन तिमाहियों के सबसे निचले स्तर पर रही और प्रॉफिट ग्रोथ नौ तिमाहियों के सबसे कमजोर स्तर पर रही।
कंज़्यूमर गुड्स सेक्टर में वॉल्यूम ग्रोथ स्थिर रही, लेकिन कच्चे माल की ऊँची कीमतों के कारण लाभप्रदता घट गई। यदि अक्टूबर से जीएसटी दरों में कटौती लागू होती है, तो उसका सकारात्मक असर वित्त वर्ष के दूसरे हिस्से में देखने को मिल सकता है।
आईटी कंपनियों पर वैश्विक अनिश्चितता, कमजोर विवेकाधीन खर्च और क्लाइंट्स के निर्णय में देरी के कारण दबाव बना हुआ है। दूसरी ओर, रियल एस्टेट क्षेत्र फिलहाल अपेक्षाकृत मज़बूत स्थिति में है और बाज़ार के लिए सकारात्मक संकेत दे रहा है।