जयपुर के रामगढ़ बांध पर ड्रोन और AI तकनीक से कृत्रिम वर्षा का पहला प्रयास विफल रहा. 60 दिवसीय पायलट प्रोजेक्ट के तहत ड्रोन से सोडियम क्लोराइड का छिड़काव किया जाना था, लेकिन तकनीकी समस्याओं और भीड़ के कारण यह असफल रहा. इससे ग्रामीणों में निराशा है, जबकि सरकार और कंपनी 60 दिनों तक प्रोजेक्ट जारी रखने की योजना बना रही है.
देश में पहली बार जयपुर में ड्रोन से आर्टिफिशियल बारिश का प्रोसेज शुरू हुआ. यह प्रोसेस जयपुर में बने ऐतिहासिक रामगढ़ बांध पर किया गया. करीब दो दशक से रामगढ़ बांध सूखा पड़ा है जिसको फिर से भरने के लिए कृत्रिम बारिश का सहारा लिया जा रहा है. जिले के जमवारामगढ़ क्षेत्र के रामगढ़ बांध पर आर्टिफिशियल बारिश को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोगों का हुजूम पहुंचा. देश में ये पहला मौका था जब ड्रोन और एआई तकनीक से आर्टिफिशियल रेन होनी थी. इस 60 दिवसीय प्रोसेज शुरू करने से पहले ड्रोन की पूजा की गई और मंत्रोचारण किया गया, लेकिन ये प्रोसेस फेल हो गया, जिससे ग्रामीणों के चेहरों पर मायूशी छा गई.
राज्य सरकार और निजी कंपनी की ओर से जयपुर के रामगढ़ बांध पर होने वाली कृत्रिम बारिश को लेकर मंगलवार को कृषि मंत्री डॉ किरोड़ीलाल मीणा मौके पर पहुंचे, लेकिन सिविल एविएशन की परमिशन ना होने के चलते, बादलों के ज्यादा हाइट पर होने के चलते आर्टिफिशियल बारिश नहीं हो पाई. अब 60 दिन तक पायलट प्रोजेक्ट के तहत आर्टिफिशियल बारिश का प्रोसेज जारी रहेगा. इस प्रोजेक्ट के तहत इस बार हजारों फीट ऊंचाई पर ड्रोन की मदद से बादलों में सोडियम क्लोराइड का छिड़काव किया जाएगा. रामगढ़ बांध को क्लाउड सीडिंग तकनीक से भरने की ऐतिहासिक पहल की जाएगी.
ड्रोन से कराई जाएगी कृत्रिम बारिश
अमेरिका और बेंगलुरु की टेक्नोलॉजी बेस्ड एआई कंपनी सरकार के साथ मिलकर पायलट प्रोजेक्ट के तहत ट्रायल कर रही है. जानकारी के मुताबिक, रामगढ़ में 60 क्लाउड सीडिंग की टेस्ट ड्राइव कराई जाएगी. अब तक प्लेन से क्लाउड सीडिंग कराई जाती रही है. ड्रोन से छोटे इलाके के सीमित दायरे में होने वाला यह पहला प्रयोग है. अब तक कृत्रिम बारिश के लिए बड़ा क्षेत्र चुना जाता रहा है.
ये तकनीक आसमान में बादल होने पर ही काम करेगी. जयपुर जिले का रामगढ़ बांध पिछले दो दशक से सूखा पड़ा है लेकिन एक वक्त था जब यहां 1985 में एशियाड नौकायन प्रतियोगिता आयोजित हुई थी.
क्या बोले राज्य के कृषि मंत्री?
किरोडी लाल मीणा ने कहा कि देश में पहली बार ड्रोन और AI तकनीक के जरिये कृत्रिम बारिश कराई जाएगी. हजारों फीट ऊंचाई पर ड्रोन को उड़ाकर बादलों में सोडियम क्लोराइड डाला जाएगा, जिससे संघनन की प्रक्रिया से वर्षा के लिए अनुकूल जल बूंदें बनकर बरसेगा. यह तकनीक अब तक विमान आधारित रही है, लेकिन रामगढ़ पर इसे ड्रोन के जरिए लागू किया गया है.
एक्सपर्ट ने कही ये बात
तकनीकी विशेषज्ञ संजय कामरा ने कहा कि आर्टिफिशियल रेन देखने आए ग्रामीणों ने जब प्रोसेस फेल होते देखा तो रामगढ़ बांध पर इकट्ठा होकर जमकर बवाल किया. गुस्साए ग्रामीणों ने हंगामा किया तो स्थिति बिगड़ने लगी. स्थिति को संभालने के लिए पुलिस ने ग्रामीणों को लाठियां से खदेड़ा. वहीं कंपनी के अधिकारी ने कहा कि लोगों की भीड़ होने की वजह से जीपीएस सिस्टम फेल होने की वजह से ये प्रॉसेस फेल हो गया. अब सवाल ये उठता है कि ड्रोन से बारिश करवाने वाली कंपनी ने पूरी तैयारिया क्यों नहीं की.