गांधीनगर से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है। गांधीनगर कोर्ट में जज ने पॉक्सो के आरोपी को दोषी करार देते हुए 20 साल कैद की सजा सुनाई है। यह फैसला सुनते ही आरोपी कोर्ट से फरार हो गया। आरोपी को पकड़ने के लिए पुलिस व्यवस्था दबिश दे रही है। यह घटना गांधीनगर स्पेशल कोर्ट में हुई। जिसमें मूल रूप से दाहोद का रहने वाला आरोपी फरार हो गया।

मूल रूप से दाहोद निवासी और वर्तमान में अहमदाबाद के मिरोली में रहने वाले आरोपी लालाभाई रामसिंह गजसिंह डांगी ने 15 साल की एक नाबालिग लड़की का अपहरण कर उसके साथ बलात्कार किया था। अदालत ने आरोपी को इस अपराध का दोषी पाया। अदालत ने उसे भारतीय दंड संहिता की धारा 363 के तहत 1 साल और 10,000 रुपये, धारा 366 के तहत 3 साल और 10,000 रुपये और पॉक्सो अधिनियम की धारा 4 और 6 के तहत 20 साल की कैद और 10,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई। साथ ही, उसे पीड़िता को 4 लाख रुपये का मुआवजा देने का भी आदेश दिया गया। हालाँकि, अदालत द्वारा सजा सुनाए जाने के तुरंत बाद आरोपी फरार हो गया।
आरोपी को पकड़ने के लिए अलग-अलग टीमें बनाई गई थीं। लाला डांगी, जो उस समय इस अपराध में ज़मानत पर था, पॉक्सो के तहत अपराध के लिए भी कोर्ट आया हुआ था। आज भी लालो कोर्ट में पेशी के लिए आया था। इसी बीच, जब उसे पता चला कि नाबालिग से बलात्कार के अपराध में उसे 20 साल की सज़ा होने वाली है, तो लालो डांगी मौके का फ़ायदा उठाकर कोर्ट से भाग गया। इस घटना के बाद पुलिस भी भागने लगी। फ़िलहाल, लाला डांगी को पकड़ने के लिए अलग-अलग टीमें सक्रिय कर दी गई हैं।
मिली जानकारी के अनुसार, आरोपी मूल रूप से धोलाकुंआ में मजदूरी करता था। रामसिंह नाम के आरोपी ने अपने कार्यस्थल पर एक नाबालिग लड़की से छेड़छाड़ की थी। जिस पर गांधीनगर कोर्ट स्थित विशेष पॉक्सो कोर्ट में मामला चल रहा था। आज दोपहर 1.30 बजे जज ने उसे 20 साल कैद की सजा सुनाई और सजा सुनते ही वह कोर्ट से कूदकर भाग गया। मिली जानकारी के अनुसार, पुलिस भी आरोपी को पकड़ने के लिए उसके पीछे दौड़ी लेकिन वह कोर्ट के बाहर ही फरार हो गया।
पुलिस और कोर्ट सुरक्षा पर सवाल
इस घटना के बाद प्रशासन और पुलिस की कार्यप्रणाली पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं:
- सुरक्षा में चूक: कोर्ट परिसर के भीतर आरोपी के भाग जाने की घटना कोर्ट की सुरक्षा और पुलिस की सतर्कता पर गंभीर सवाल उठाती है।
- आरोपी की निगरानी: ऐसे मामलों में पुलिस सुरक्षा बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है, क्योंकि आरोपी को कोर्ट लाने और ले जाने की जिम्मेदारी पूरी तरह पुलिस पर होती है।
न्याय प्रक्रिया पर प्रभाव
- सख्त सजा: भारतीय अदालतें रेप, गैंगरेप या अन्य गंभीर अपराधों में आम तौर पर दोषी को 20 साल या आजीवन कारावास देती हैं।
- फरार अपराधी: आरोपी के फरार होने से पीड़ित को न्याय मिलने में विलंब हो सकता है, और न्यायिक प्रक्रिया भी प्रभावित होती है।
भविष्य के लिए सबक
- सुरक्षा बढ़ाने की जरूरत: कोर्ट परिसर की सुरक्षा को मजबूत और टेक्नोलॉजी-सक्षम बनाना जरूरी है।
- पुलिस ट्रेनिंग: पुलिस कर्मचारियों के लिए नियमित ट्रेनिंग और सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करवाना जरूरी है।
- जागरूकता: ऐसे मामलों से जनता में कानून और सुरक्षा व्यवस्था के प्रति जागरूकता बढ़ती है और सुधार की गुंजाइश मिलती है।
गांधीनगर कोर्ट से आरोपी के फरार होने की घटना न सिर्फ स्थानीय प्रशासन, बल्कि पूरे देश के न्याय तंत्र पर सवाल खड़े करती है। कोर्ट सुरक्षा को मजबूत करने, पुलिस की जिम्मेदारी तय करने और अपराधियों को कानून के हवाले करने के लिए ठोस कदम उठाना अब अनिवार्य हो गया है।
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