नई दिल्ली: पाकिस्तान के खिलाफ भारत द्वारा शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अफवाह फैली कि भारतीय नौसेना ने आईएनएस विक्रांत से ब्रह्मोस मिसाइल दागकर पाकिस्तान के कराची बंदरगाह को नष्ट कर दिया है, हालांकि बाद में नौसेना ने स्पष्ट किया कि कराची पर कोई हमला नहीं किया गया था। लेकिन एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान नौसेना संचालन महानिदेशक वाइस एडमिरल ए एन प्रमोद ने कहा कि कराची नौसेना के निशाने पर है और जरूरत पड़ने पर युद्धपोत हमला करने के लिए तैयार हैं।
एडमिरल ए एन प्रमोद ने कहा, “हमारे सैन्य बल अरब सागर में पूरी तत्परता और क्षमता के साथ तैनात थे, ताकि वे अपनी पसंद के समय कराची सहित समुद्र और जमीन पर चयनित लक्ष्यों पर हमला कर सकें।”
रिपोर्ट के अनुसार, इस मिशन के लिए भारतीय नौसेना ने कराची के पास अरब सागर में 36 युद्धपोतों की टुकड़ी तैनात की थी, जिसमें स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत, 7 विध्वंसक, 7 फ्रिगेट, एक पनडुब्बी और एक फास्ट अटैक बोट शामिल थी।
भारतीय युद्धपोतों की ऐतिहासिक तैनाती:
1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में, भारतीय नौसेना ने ऑपरेशन ट्राइडेंट और ऑपरेशन पायथन के दौरान कराची बंदरगाह पर हमला करने के लिए 6 युद्धपोतों का इस्तेमाल किया था। इस बीच, पाकिस्तान की समुद्री रसद नष्ट कर दी गई। लेकिन ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय नौसेना ने 36 युद्धपोत तैनात किये, जो 1971 की तुलना में छह गुना अधिक थे।
आईएनएस विक्रांत और कैरियर बैटल ग्रुप:
इस तैनाती का प्रमुख जहाज भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत था। 40,000 टन वजनी यह युद्धपोत मिग-29के लड़ाकू विमानों, कामोव हेलीकॉप्टरों और उन्नत हवाई चेतावनी प्रणाली से सुसज्जित है।
विक्रांत के साथ 8-10 युद्धपोतों का एक समूह तैनात किया गया है, जिसमें विध्वंसक, फ्रिगेट और सहायक जहाज शामिल हैं। इस समूह ने कराची के पास अरब सागर में एक अभेद्य समुद्री दीवार का निर्माण किया था, जो पाकिस्तानी नौसेना और वायु सेना को वहां रोक सकती थी।